आज मैं आपको
मेरी पहली चुदाई
की कहानी बताने
जा रही हूँ।
मेरे एक चाचा
हैं उनका नाम
वीर है, वो
हमारे दूर के
रिश्तेदार हैं, उनकी
उम्र करीब 38 के
आसपास है और
वो अकेले ही
रहते हैं। वो
अकसर हमारे घर
पर आते-जाते
रहते हैं।
मेरे पापा की
तो कई साल
पहले मृत्यु हो
चुकी थी.. घर
का सारा बोझ
सिर्फ माँ पर
ही था। चाचा
भी हमें कभी-कभी मदद
करते थे। मुझे
पढ़ने का बहुत
ही मन था
और मैं क्लास
में हमेशा फर्स्ट
ही आती थी।
यह बात उस
समय की है
जब मेरा 12 वीं
का रिजल्ट आया
था। मैं बढ़िया
नम्बरों से पास
हुई थी.. मुझे
आगे कालेज में
पढ़ने जाना था..
लेकिन हमारे पास
फीस देने के
पैसे नहीं थे।
मैं बहुत उदास
थी.. मुझे आगे
पढ़ना था। कहीं
से भी पैसों
का इन्तज़ाम नहीं
हो पा रहा
था।
मैं ऐसे ही
घर में उदास
बैठी थी.. तभी
मेरे चाचा आए
और पूछा- तुम्हारी
माँ कहाँ हैं?
मैंने कहा- बाहर
गई हैं।
मेरा उदास चेहरा
देखकर उन्होंने पूछा-
क्या बात है..
उदास क्यों हो?
तो मैंने उन्हें सब
बताया.. तो उन्होंने
कहा तो इसमें
परेशानी वाली कौन
सी बात है?
मैं हूँ ना..
मैं तुम्हारी फीस
दूँगा।
मुझे यकीन नहीं
हो रहा था..
मेरा सपना पूरा
होने जा रहा
था.. मैं खुशी
से पागल हो
गई थी।
मैं झट से
उनके गले लग
गई.. वो बोले-
लेकिन तुम्हें भी
मेरे लिए कुछ
करना होगा।
मैंने कहा- मैं
कुछ भी करने
के लिए तैयार
हूँ।
तो उन्होंने कहा- तुम्हें
मुझसे चुदना होगा।
मैं झट से
उनसे अलग हो
गई.. मुझे अपने
कानों पर विश्वास
नहीं हो रहा
था।
मैंने कहा- आपको
शरम नहीं आती..
ऐसी बात कहते
हुए? मैंने तो
आपको क्या माना
और समझा था?
वो बोले- देखो ज्यादा
नाटक करने की
जरूरत नहीं है..
मैं कोई दानवीर
नहीं हूँ.. अगर
तुम्हें पैसे चाहिए
तो मुझसे चुदना
तो पड़ेगा ही।
मुझे बड़ा गुस्सा
आ रहा था..
मैंने कहा- निकल
जाइए यहाँ से..
तो वो चले
गए और मैं
फिर उदास हो
गई। मुझे अभी
भी यकीन नहीं
हो रहा था
कि ये चाचा
ऐसा इन्सान निकलेगा।
मुझे यह बात
माँ को बताने
तक की हिम्मत
नहीं हुई.. मैंने
सोचा कहीं से
भी फीस का
इन्तज़ाम हो जाएगा।
अब यूँ ही
दिन बीतने लगे..
लेकिन कहीं से
भी पैसों का
इन्तज़ाम नहीं हो
रहा था। मुझे
अब बार-बार
चाचाजी की बात
याद आ रही
थी।
मैंने सोचा एक
बार ही तो
चुदना है ना..
कभी ना कभी
तो चुदवाना ही
है.. तो क्यों
ना चाचाजी के
साथ ही कर
लें।
लेकिन मेरा दिल
अभी भी ‘ना’
कह रहा था,
फीस भरने का
दिन करीब आ
रहा था अब
सिर्फ दो दिन
ही बचे थे।
आखिरकार मैंने अपने मन
को मनाया और
चाचा से चुदने
के लिए खुद
को तैयार किया।
मैं सुबह ही
घर से निकल
गई, माँ को
बोला कि सहेली
के घर पर
जा रही हूँ
और सीधा चाचा
के घर चली
गई।
मैंने दरवाजा खटखटाया तो
चाचा ने ही
दरवाजा खोला, वे मुझे
देखकर चौंक गए..
बोले- तुम?
मैंने कहा- मुझे
आपसे बात करनी
है।
वो बोले- ठीक है..
अन्दर आओ…
मैं उनके पीछे-पीछे चल
दी।
वो बोले- क्या बात
है?
मैंने कहा- मैं
चुदने के लिए
तैयार हूँ.. अगर
आप मेरी फीस
देंगे तो..
वो हँसने लगे और
बोले- मुझे पता
ही था.. आज
नहीं तो कल..
तुम्हें मेरे पास
आना ही पड़ेगा।
मैं चुप थी।
वो बोले- पैसे तो
मैं दे दूँगा..
लेकिन मैं जो
भी कहूँ.. तुम्हें
वो करना पड़ेगा।
मैंने कहा- ठीक
है..
मेरे पास और
कोई चारा भी
नहीं था।
वो बोले- अपने कपड़े
निकाल दो।
मैंने अपनी टी-शर्ट निकाल
दी और फिर
जीन्स भी निकाल
दी। अब मैं
उनके सामने सिर्फ
ब्रा-पैन्टी में
थी.. मुझे बहुत
शर्म आ रही
थी।
वो मेरे पास
आए और धीरे
से मेरी ब्रा
में हाथ डाला
और मेरे स्तनों
को सहलाने लगे।
शर्म के मारे
मैंने अपनी आँखें
बन्द कर लीं।
उन्होंने पीछे से
हाथ डाल कर
मेरी ब्रा के
हुक खोल दिए
और ब्रा को
भी मेरे मम्मों
से निकाल दिया।
मेरे बड़े-बड़े
स्तन उसके सामने
नंगे हो गए।
वो पागल हो
गए और मेरी
मम्मों को मुँह
में लेकर चूसने
लगे। फिर उन्होंने
अपना एक हाथ
मेरी पैन्टी में
डाल दिया और
मेरी कुँवारी चूत
को सहलाने लगे।
जैसे ही उसकी
उँगली मेरी चूत
के छेद पर
लगती.. मेरे अन्दर
जैसे बिजली सी
दौड़ जाती।
फिर उसने मेरी
पैन्टी भी निकाल
दी। अब मैं
उनके सामने पूरी
नंगी हो गई
थी, मुझे बहुत
शर्म आ रही
थी।
फिर वो अपने
कपड़े निकालने लगे।
जैसे ही उन्होंने
अपनी चड्डी निकाली
तो उसका लंड
देख कर मैं
डर गई.. वो
करीब 8 इंच लम्बा
और बहुत मोटा
था। मेरी समझ
में ही नहीं
आ रहा था
कि यह मेरी
चूत में कैसे
जाएगा।
फिर वो मुझे
गोद में उठाकर
कमरे में ले
गए और मुझे
बिस्तर पर पटक
दिया और अपना
लौड़ा हिलाते हुए
बोले- चल अब
इसे चूस।
मैंने पहले कभी
लौड़ा नहीं चूसा
था.. इसलिए मैं
डर रही थी
लेकिन मुझे करना
तो पड़ेगा ही..
इसलिए मैंने उनका
लौड़ा अपने मुँह
में ले लिया
और चूसने लगी।
मैं उनके लौड़े
को अपने मुँह
में अन्दर-बाहर
कर रही थी
और वो मेरा
सर पकड़े हुए
‘आह… आह…’ कर
रहे थे।
मुझे भी अब
उसमें मजा आने
लगा था और
मैं मजे से
उनका लंड चूस
रही थी। उनके
लंड का स्वाद
मुझे बड़ा ही
मस्त लग रहा
था।
वो बोल रहे
थे- चल मेरी
रानी जोर-जोर
से चूस इसे
आह्… चूस मेरा
लौड़ा…
मैं भी अब
बेशर्म हो गई
थी और रंडी
की तरह उनका
लौड़ा चूस रही
थी।
वो बोले- चल.. अब
तेरी चूत फाड़नी
है.. घोड़ी बन
जा..
मैं अपने चारों
पैरों पर खड़ी
हो गई.. किसी
कुतिया की तरह
बन गई और
मेरी चूत अब
उनके सामने आ
गई थी। उन्होंने
बहुत सारा थूक
लिया और मेरी
चूत के छेद
पर लगा दिया
और थोड़ा सा
अपने लौड़े पर
भी लगाया। फिर
उन्होंने अपना सुपारा
मेरी चूत के
छेद पर रखा
और एक जोर
से धक्का मारा।
‘आईईईईईईईईइ…’ मैं जोर
से चिल्लाई.. उनका
लौड़ा मेरी चूत
को फाड़ता हुआ
मेरी चूत में
आधे तक घुस
गया। मेरी आँख
में से पानी
निकलने लगा और
चूत में से
खून… मुझे लगा
मैं जैसे बेहोश
हो चुकी हूँ..
मुझसे दर्द सहन
नहीं हो पा
रहा था।
वो रुक गए
थे.. और मेरे
कूल्हों को धीरे-धीरे सहला
रहे थे। फिर
वो जरा रुके
और एक और
धक्का मारा।
‘उईईईई…’ मैं फिर
चिल्ला उठी…
मैंने मुड़कर देखा तो
उनका पूरा लौड़ा
मेरी चूत में
घुस गया था।
दर्द के मारे
मेरी हालत खराब
हो चुकी थी।
इस बार वो
नहीं रुके और
धक्के पे धक्का
मारने लगे, उनके
हर धक्के पर
मैं कराह उठती
थी।
कुछ धक्कों तक मुझे
बेहद दर्द हुआ
पर अब धीरे-धीरे दर्द
मिट गया और
मजा आने लगा।
अब तो उनका
हर धक्का मुझे
स्वर्ग में पहुँचा
देता था और
उनके हर धक्के
के साथ मेरे
मुँह से ‘आह…’
निकल जाती थी।
मुझे खुद पता
नहीं था.. कि
मैं क्या बोल
रही थी- आह्ह्…
आह्ह्… चोदो मुझे
आह्… फाड़ दो
इस चूत को..
और जोर से
आह्… आज मेरी
प्यास मिटा दो
मेरे राजा.. आह…
मैं भी अब
अपनी गाण्ड हिला-हिला कर
उसका साथ दे
रही थी, पूरे
कमरे में चुदाई
की ‘फचा..फच..’
की आवाजें आ
रही थीं।
फिर उन्होंने अपना लौड़ा
निकाला और नीचे
लेट गए और
मुझे अपने ऊपर
बिठा दिया… मैंने
उनका लौड़ा पकड़
कर अपनी चूत
पर रख दिया
और नीचे से
उसने धीरे से
धक्का मार दिया
और धक्का मारते
ही वो चूत
में चला गया।
अब मैं अपनी
गाण्ड उसके लौड़े
पर पटक-पटक
कर चुद रही
थी… वो भी
नीचे से मेरा
साथ दे रहे
थे। मैं तो
जैसे स्वर्ग में
ही पहुँच गई
थी। वो दोनों
हाथों से मेरी
चूचियों को दबा
रहे थे…
फिर वो उठे
और उन्होंने अपना
लौड़ा चूत में
से निकाल कर
मेरे मुँह में
डाल दिया। अब
वो मेरे सिर
को पकड़ कर
मेरे मुँह को
चोदने लगे। कुछ
ही पलों में
जोर-जोर से
धक्के मारते हुए
मेरे मुँह में
ही झड़ गए,
मैं उसका सारा
रस पी गई
और उसके लौड़े
को चाट कर
साफ करने लगी।
मेरी चूत पर
बहुत सारा खून
लगा हुआ था..
तो मैं इसे
साफ करने के
लिए बाथरूम में
जाने लगी।
जैसे ही मैं
वहाँ पहुँची तो
वो लपक कर
मेरे पीछे आ
गए और पीछे
से मुझे दबोच
लिया, उन्होंने मेरा
मुँह दीवार से
सटा दिया फिर
मेरा एक पैर
उठा कर वाशबेसिन
पर रख दिया..
इससे मेरी चूत
पीछे से खुल
गई।
उन्होंने अपना लौड़ा
पीछे से ही
मेरी चूत में
फिर से डाल
दिया और दम
से मुझे चोदने
लगे।
करीब आधे घंटे
तक वो मुझे
वैसे ही चोदते
रहे और मेरी
चूत में ही
झड़ गए।
चुदाई होने के
बाद मैंने खुद
को साफ़ किया
और लंगड़ाते हुए
मैंने अपने कपड़े
पहने। जाते वक्त
उन्होंने मुझे पैसे
दिए जिससे मैंने
अपनी फीस भर
दी।
अब जब भी
मुझे पैसों की
जरूरत होती है
तो मैं उनसे
चुदवा लेती हूँ।
अब तो मुझे
उनकी आदत सी
हो गई है।
आप को मेरी
कहानी जैसी भी
लगी हो अपने
विचार मुझ तक
जरूर पहुँचाएँ।