आप सभी
को मेरा नमस्कार!
वैसे तो
मैं इस साईट
का बहुत पुराना
पाठक हूँ और
मैं लगभग सभी
कहानियाँ पढ़ चुका
हूँ।
मैंने भी कई
बार अपनी कहानी
लिखने का प्रयास
किया.. लेकिन सफल नहीं
हो सका और
शायद इस बार
मैं सफल हो
जाऊँ.. खैर.. कहानी पर
आते हैं।
मैं राहुल
पटना का रहने
वाला हूँ और
मेरी उम्र लगभग
25 साल है। मैं
दिखने में जरूर
कुछ तो मस्त
लगता ही होऊँगा
तभी मुझ पर
बहुत सारी लड़कियाँ
मरती हैं।
बात उन
दिनों की है
जब मैं 18 साल
का था और
सेक्स के बारे
में कुछ भी
नहीं जानता था।
मैं बारहवीं की
परीक्षा दे चुका
था और घर
पर ऐसे ही
टाईम पास कर
रहा था।
मेरा मन
भी नहीं लग
रहा था.. लेकिन
करूँ तो क्या
करूँ। इस बात
की जानकारी मेरी
माँ को भी
थी.. इसलिए वो
मुझसे एक दिन
बोलीं- अगर तेरा
मन नहीं लग
रहा है.. तो
नानी के घर
कुछ दिनों के
लिए चला जा..
तेरा मन भी
लग जाएगा और
सबसे मिल भी
लेगा।
मैंने भी हामी
भर दी और
जाने की तैयारी
करने लगा।
अगले ही
दिन मैं अपने
नाना नानी के
घर लगभग दोपहर
में पहुँच गया।
वहाँ पहुँचने के
बाद सब के
सब बहुत खुश
हुए और मैं
तो खुश ही
था।
मेरी नानी
के घर में
लगभग 10-12 सदस्य हैं जिसमें
3 मामी.. 3 मामा और
कुछ भाई बहन..
सब मिल-जुल
कर एक साथ
ही रहते हैं।
बड़े मामा
की 2 बेटियाँ हैं
और दोनों लगभग
मेरी ही उम्र
की हैं।
एक ही
उम्र के होने
के कारण हम
तीनों में खूब
पटती थी.. लेकिन
हम कभी गलत
नज़र से किसी
को नहीं देखते
थे.. पर नियति
के अनुसार कुछ
और ही होना
था।
दोपहर को खाना
खाने के बाद
सब आराम करने
लगे.. लेकिन मुझे
नींद नहीं आ
रही थी.. इसलिए
मैंने पूजा के
कमरे में जाने
का सोचा और
चला गया।
पूजा पढ़ाई
कर रही थी..
तो मैं भी
उसके पास जा
कर बैठ गया
और हम दोनों
बातें करने लगे।
उस समय
तो बस इधर-उधर की
बातें हुईं और
कुछ देर बाद
बातें खत्म भी
हो गई थीं..
मैं वहाँ से
चला गया।
शाम का
समय था.. इसीलिए
अपने एक मामा
के साथ चौक
पर घूमने चला
गया।
वापस जब
आया तो देखा
कि सबके सब
टीवी पर ‘शोले’
फिल्म देख रहे
थे.. फिल्म अच्छी
थी.. इसलिए मैं
भी बैठ कर
देखने लगा।
वहाँ पर
नानी और एक
मामी भी और
पूजा भी थे।
मैं मामी
के बगल में
बैठा था। मैं
सबसे बातें भी
कर रहा था
और फिल्म भी
देख रहा था।
कुछ देर के
बाद बिजली चली
गई.. जिसके कारण
पूरे घर में
अंधेरा हो गया..
जिसके कारण हम
लोग एक-दूसरे
को देख भी
नहीं पा रहे
थे।
इसी बीच
मैं अपना मोबाइल
खोजने लगा.. ताकि
उसकी टॉर्च की
रोशनी से सहायता
कर सकूँ.. लेकिन
मोबाइल खोजने के चक्कर
में मैं पूजा
से टकरा गया।
हम दोनों
आमने-सामने से
ही टकरा गए
थे.. जिससे उसके
मम्मे मेरे छाती
से टकरा गए।
लेकिन उस वक़्त
मैंने ध्यान नहीं
दिया फिर भी
उसके मम्मों के
स्पर्श का ख्याल
मेरे दिमाग में
बैठ गया।
खैर.. मोबाइल मिला
और मैंने लाईट
जला कर पूजा
को मोबाइल दे
दिया और उसके
बाद पूजा ने
दो लैम्प जलाईं।
उसने एक..
हम लोगों के
पास रख दी
और दूसरी अपने
साथ ले कर
पढ़ने चली गई।
अब मैं
नानी से बात
करने लगा और
मामी खाना बनाने
चली गई।
कुछ देर
के बाद पूजा
ने मुझे आवाज़
दी- भाई.. एक
सवाल समझ में
नहीं आ रहा
प्लीज़ बता दो
ना..
मैंने ‘हाँ’ में
जबाब दिया और
उसके कमरे में
चला गया।
सवाल गणित
का था.. जो
मैंने उसे बता
दिया और वापस
आने लगा.. लेकिन
उसने मुझे रोक
लिया और कहने
लगी- क्या भाई..
एक तो इतने
दिनों के बाद
आए हो और
हमसे ज्यादा बात
भी नहीं करते
हो.. क्या हुआ..
कुछ नाराज हो?
तो मैंने
झट से कह
दिया- पूजा.. उस
बात के लिए
सॉरी जब मैं
तुमसे टकरा गया
था।
तो उसने
कहा- क्या भाई..
तुम भी ना..
छोड़ो उस बात
को.. और यह
बताओ कि तुम्हारी
पढ़ाई कैसे चल
रही है।
मैंने कहा- अच्छी
चल रही है..
लेकिन पूजा प्लीज़
मुझे माफ कर
दे।
उसने कहा-
माफ़ तो नहीं
करूँगी.. मैं भी
तुमसे बदला लूँगी..
बोल.. मैं भी
तुम्हें टक्कर मार दूँ।
उसने एकदम
से उठ कर
अपने सीने से
मेरे सीने पर
एक जोरदार टक्कर
मार दी।
मुझे बहुत
बुरा लगा.. लेकिन
कुछ कर भी
नहीं सकता था।
उस टक्कर
से मुझे तो
कुछ नहीं हुआ
लेकिन शायद पूजा
को कुछ तकलीफ
हुई।
मैंने पूछा- क्या
हुआ?
तो उसने
कुछ भी नहीं
बताया। मैंने बार-बार
पूछा.. तब उसने
बताया कि चोट
लग गई है..
दर्द हो रहा
है।
लेकिन कहाँ दर्द
हो रहा है
ये उसने नहीं
बताया।
मेरे बार-बार पूछने
पर बोली- गरदन
के नीचे..
तो मैंने
बोला- लाओ मैं
दबा देता हूँ।
उसने ‘हाँ’ में
सर हिलाया..
अब मैं
उसकी गरदन के
थोड़ा नीचे दबाने
लगा और वो
भी आराम से
लेटी हुई थी।
लेकिन मेरा हाथ
उसके मम्मों से
हर बार टकरा
जाता था.. मुझे
बुरा भी लग
रहा था और
अच्छा भी।
इसी बीच
पूजा बोली- और
जोर से दबाओ
ना भाई.. मुझे
अच्छा लग रहा
है।
लेकिन मैंने हाथ
हटा लिया।
;प्लीज़ भाई.. दबाओ
ना..’
मैंने भी जानबूझ
कर एकदम से
मम्मों पर हाथ
रख कर उसकी
चूचियों को दबाने
लगा.. जिसके कारण
वो जोर-जोर
से साँस लेने
लगी थी।
इसी बीच
मामी ने आवाज़
लगाई- खाना तैयार
है.. आ जाओ..
मैं खाना
खाने चला गया..
कुछ देर के
बाद पूजा भी
आई और खाना
खा कर सोने
चली गई।
मैंने भी खाना
खाया और वापस
उसी कमरे के
बरामदे में चले
गए.. जिस कमरे
में पूजा सोई
हुई थी।
रात तो
हो ही चुकी
थी.. सब के
सब सो चुके
थे.. और मुझे
भी नींद लगभग
आ चुकी थी..
लेकिन मुझे लगा
कि शायद मेरे
पास कोई है।
मैंने पूछा- कौन?
तो पूजा
ने झट से
मेरा मुँह दाब
दिया और बोली-
भाई.. मैं पूजा..
भाई जब से
तुमने मेरे मम्मों
को दबाया है..
तब से पता
नहीं.. मुझे कुछ
हो रहा है..
प्लीज़ कुछ करो
ना..
उसने मुझे
जोर से पकड़
लिया।
पता नहीं
क्या हुआ.. हम
दोनों के होंठ
एक-दूसरे से
मिल गए और
हम दोनों पागलों
की तरह चुम्बन
करने लगे।
इस बीच
हम दोनों कब
बिना कपड़े के
हो गए.. पता
भी नहीं चला।
मैं अपना एक
हाथ उसके चूचों
पर रख कर
दबाने लगा और
दूसरा पता नहीं
कब उसके पैंटी
में चला गया।
इसी बीच
पूजा मेरे लंड
को पकड़ कर
हिला रही थी..
जिसके कारण मेरा
जोश बढ़ रहा
था।
मैं चूमते-चूमते नीचे उसकी
बुर तक आ
चुका था और
क्या बताऊँ यार..
क्या स्वाद था..
बस इतना ही
लिख सकता हूँ
कि उसके सामने
सारे स्वाद फीके
पड़ जाते हैं।
‘भाई.. प्लीज़.. मेरी
बुर में कुछ
हो रहा है..
अपना लंड डाल
दो ना..’
मैं अपना
लंड उसकी बुर
के छेद पर
लगा कर घुसाने
लगा.. लेकिन छिटक
कर लंड अलग
हो गया।
‘भाई प्लीज़..
जल्दी करो.. नहीं
तो मैं मर
जाऊँगी।’
फिर प्रयास
किया.. तो इस
बार थोड़ा लंड
अन्दर गया.. लेकिन
मेरा लंड अन्दर
जाते ही वो
छटपटाने लगी।
अब मैं
रुका नहीं और
एक जोर का
धक्का लगा कर
पूरा लंड बुर
में घुसेड़ दिया।
पूजा रोने
लगी.. लेकिन मैंने
कहा- अब चोदने
वाला हूँ.. चुप
रहो.. मजा लो।
कुछ देर
में वो भी
साथ देने लगी
और लगभग 20 मिनट
की जोरदार चुदाई
के बाद हम
दोनों एक साथ
ही झड़ गए।
फिर हम
दोनों ने उस
रात 3 बार जबरदस्त
चुदाई का मजा
लिया।
उसके बाद
वो कुछ देर
रह कर.. अपने
कमरे में चली
गई और मैं
भी सो गया।
उसके बाद
हम दोनों को
जब भी मौका
मिलता.. हम दोनों
चुदाई का मजा
लेते। अब तो
मुझे बुर चोदने
का लत लग
गई थी.. जिसके
कारण पता नहीं
कितनी बार उसकी
चूत को चोदा
होगा.. मैं तो
गिनती भी भूल
गया।